27 Dec

Tip to Remember while growing Chamomile in INDIA.

  • Posted By : Manendra Singh Yadav
  • |
  • Time : 11.30 am

साधारण नाम - कैमोमिल, गुलेबबूना|
उन्नत किस्म - सम्मोहक|

उपयोग - फल तथा उससे प्राप्त तेल; फूलों का उपयोग चाय, हर्बल स्नान, सुगंधियों एव सजावट के लिये तथा इसके तेल का उपयोग साबुन, कास्मेटिक, शैम्पू, क्रीम फार्मास्यूटिकल्स, घरेलू दवाइयों, माउथ वाश, सुंगन्ध उपयोग एव एरोमाथिरैपी में होता है|

प्रमुख रासायनिक घटक - कैमोमिल के तेल में कैमोजुलीन रसायन की मात्रा 17-18 प्रतिशत होती है|.

जलवायु - समशीतोष्ण, शीतोष्ण जलवायु, ऊंची भूमि हेतु उपयुक्त; पाला पाला एवं उच्च आर्द्रता के प्रीति संवेदनशील|
भूमि - समुचित जल निकास, भुरभुरी, समतल, ढाल वाली भूमि उचित होती है I बलुई दोमट, दोमट भूमि सक्से उपयुक्त हे I

प्रवर्धन - नर्सरी में बीजों को उगाकर पौधों की रोपाई द्वारा प्रति 1 एकड़ 500 ग्राम बीज की आवश्यकता होती है I

पौध रोपण एवं भूमि की तैयारी - अक्टूबर-नवंबर महीनेे में नर्सरी द्वारा इसकी पौध तैयार करते हैं तथा नवंबर के मध्य में 50x30 सेमी. के अन्तराल पर पौधों का रोपण करना चाहिये। बीजों की सीधी बुवाई भी की जा सकती है परन्तु बीज की मात्रा अधिक लगती है I खाद एवं उर्वरक - प्रति 1 एकड़ 4-6 टन सड़ी हुई गोबर की खाद या 2 टन वर्मीकम्पोस्ट पर्याप्त होता हें|
सिंचाई - पहली सिंचाई पौधा के रोपण के तुरन्त बाद और फिर आवश्यकतानुसार 2-3 सिंचाई करनी चाहिये फूलों की तुड़ाई - फूलों की पहली रोपण के 65-70 दिनों बाद करनी चाहिये और इसके बाद 15 दिन के अंतराल में करना चाहिये। पांचवी अथवा छठी तुड़ाई इसके बीजो के लिये करना चाहिये|

उपज - इसके ताजा फूलों क उत्पादन 2000-2800 किग्रा. प्रति 1 एकड़ तथा सूखे फूलों का उत्पादन 400-600 किग्रा. प्रति 1 एकड़ तेल की मात्रा 0.80 प्रतिशत, तेल की उपज 3-4 किग्रा प्रति 1 एकड़

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